ख़्वाबों को हक़ीक़त का जामा हर बार नहीं पहनाया जाता
कुछ ख़्वाब सिर्फ पलकों के तले महफूज़ रहते हैं
पलकें खुली नहीं की पिघल गए हमेशा के लिए कुछ ख़्वाब सिर्फ पलकों के तले महफूज़ रहते हैं
एक ऐसा ख़्वाब
जिसमे चैनोसुकून है, खुशियाँ हैं
जिसमे चैनोसुकून है, खुशियाँ हैं
जो कुछ भी है उस पर हक़ सिर्फ़ मेरा है
दुनिया के रीतिरिवाजों से परे एक अलग ही बसेरा है
…
…
दुनियावालों,
सोने दो मुझे
समय, तू थम जा जरा
मुझे इस नींद से न जगा
…
सुबह होते ही उठना पड़ेगा
और पलकों के खुलते ही ये ख़्वाब
झुलस जाएगा सच्चाई की लपटों में
एक ऐसा ख़्वाब
जिसमे चैनोसुकून है, खुशियाँ हैं
जो कुछ भी है उस पर हक़ सिर्फ़ मेरा हैजिसमे चैनोसुकून है, खुशियाँ हैं
सिर्फ़ मेरा!
Nice poem :)
ReplyDeleteNice use of words for the thoughts! Awesome!! :)
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