शब्दोंसे परे भावोंसे भरे
Saturday 30 November 2013
आख़री अश्क़
ये कुछ आख़री अश्क़ बचे थे
आँखों में
उनके लिए
लो आज बह गए !
अब और रोया
तो ख़ून ही निकलेगा!
Tuesday 23 July 2013
पलकों के तले
ख़्वाबों को हक़ीक़त का जामा हर बार नहीं पहनाया जाता
कुछ ख़्वाब सिर्फ पलकों के तले महफूज़ रहते हैं
पलकें खुली नहीं की पिघल गए हमेशा के लिए
एक ऐसा ही ख़्वाब मैंने सम्भाले रखा है पलकों के तले
एक ऐसा ख़्वाब
जिसमे चैनोसुकून है, खुशियाँ हैं
जो कुछ भी है उस पर हक़ सिर्फ़ मेरा है
दुनिया के रीतिरिवाजों से परे एक अलग ही बसेरा है
…
दुनियावालों,
सोने दो मुझे
बंद रहने दो इन पलकों को
ऐ रात, तू न ढल
ऐ सूरज, मत निकल
समय, तू थम जा जरा
मुझे इस नींद से न जगा
…
सुबह होते ही उठना पड़ेगा
और पलकों के खुलते ही ये ख़्वाब
झुलस जाएगा सच्चाई की लपटों में
एक ऐसा ख़्वाब
जिसमे चैनोसुकून है, खुशियाँ हैं
जो कुछ भी है उस पर हक़ सिर्फ़ मेरा है
सिर्फ़ मेरा!
Saturday 13 July 2013
खुशियाँ
: तुम जहाँ जाते हो, साथ में ख़ुशियों को ले के जाते हो!
: हाँ, मैं खुशियों को अपने साथ ले जाता हूँ !
Sunday 2 June 2013
वह भीड़ थी अकेलों की !
भीड़ से डरता, बचता, संवरता
चल रहा था
अब तक
अकेला!
ताकि मेरे आंसू कोई देखे ना,
मेरी चीखें कोई सुने ना!
......
आज अचानक खुद को पाया
एक बहते हुए बड़े से झुण्ड का हिस्सा बने
भीड़ के बीचोंबीच !
देखने की, सुनने की, महसूस करने की कोशिश करते
पर ना तो कुछ देख पाया, ना सुन पाया, ना ही महसूस कर पाया कुछ भी|
......
सोचा, तो पता चला
यह तो भीड़ है उन अकेलों की
भीड़ से डरते, बचते, संवरते वो अकेले
जो चाहते हैं
की उनके आंसू कोई देखे ना,
उनकी चीखें कोई सुने ना!
......
वह भीड़ थी उन अकेलों की !
Tuesday 28 May 2013
दुखी
हम जिनसे प्यार करें
वो दुखी !
जो हम से प्यार करें
वो दुखी !
पता नहीं,
लोग दुख से इतना प्यार क्यों करते हैं!
Sunday 7 April 2013
लबों को लबों से मिलाएं
लब हैं तो लफ्ज़ भी तो होंगे
लफ्ज़ हैं तो मतलब भी तो होंगे
क्यों न लबों को लबों से मिलाएं
और पी लें
लफ्ज़ भी
मतलब भी
फिर ख़ामोश सा मंज़र होगा
जो बहुत कुछ कहेगा
तुम से भी
हम से भी
तो क्यों न लबों को लबों से मिलाएं!
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बस यूँही
जुदाई
आज जुदा हो रहे हैं... उस लम्बी जुदाई से पहले! कहते हैं: अपना एहसास दिलाती है मौत आने से पहले!
जीवन में तेरे मै आया हूँ
शब्दोंसे परे भावोंसे भरे कुछ ऐसे क्षण मैं लाया हूँ जीवन में तेरे मै आया हूँ तू मान इसे संजोग सही या ईश्वर का संकेत कोई तू पूर्ण कहाँ, मै...
मुमकिन नहीं
उसने कहा भूल जाओ भूल जाओ मुझे सदा के लिए मैंने कहा मुमकिन नहीं न तो मैं ख़ुद को भुला सकता हूँ न ही ख़ुदा को