शब्दोंसे परे भावोंसे भरे
Wednesday, 20 January 2016
तू बन के रात...
तू बन के रात, आ जा अभी मेरे सिरहाने…
न जाने कितनी और हैं बातेँ, जो दिनभर तुमसे कही नहीं !
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बस यूँही
मजबूर ये हालात
बस यूँही
सब कुछ यहाँ श्रीकृष्ण हैं
सब कुछ यहाँ श्रीकृष्ण हैं आरम्भ भी और मध्य भी निश्चित बना वो अंत भी! अनादि वो अनंत भी अपार वो अखंड भी असीम अमित कृष्ण हैं ! ...