शब्दोंसे परे भावोंसे भरे
Sunday 11 September 2011
देखा है मैंने
देखा है मैंने
साथी बादलों से घिरे
चाँद को
चोरी से
मेरी तरफ देख
मुस्कुराते हुए !
हाँ; देखा है मैंने |
और ये जानने के बाद
की मैं भी देख रहा हूँ उसे
साथी बादलों की आड़ में
झट से छुप जाने वाले
चाँद को भी तो देखा है मैंने;
हाँ देखा है !
2 comments:
Vaishali Otawanekar
12 September 2011 at 17:51
chan aahe.. :)
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Anagha
13 September 2011 at 12:05
nice
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