Thursday 17 May 2012

भ्रम

सिर्फ किरणों को पी कर
ये मान की सूरज को निगल गयी मैं
धरा चली है चैन से सोने
सुबह होने दो
आँखें खुलने दो
नींद ही नहीं
भ्रम भी टूट जायेगा!

Wednesday 9 May 2012

गहरा

मेरा ज़ख्म
जो भरा था वक़्त ने
कुरेदा किसीने बेवजह....
भरा नहीं;
हरा था
खून नहीं;
निकले आंसू....
घाव काफी गहरा था !


बस यूँही