Wednesday 14 September 2011

ईश्वर और सत्य

ईश्वर ही सत्य है मेरे लिए
सत्य को ईश्वर मानती है वो
वो सत्य है मेरा
मैं ईश्वर उसके लिए !

शब्द ही पहचान मेरी

मैं सोचता हूँ क्योंकि मै इन्सान हूँ |
मैं सोचता हूँ इसीलिए मैं हूँ |
मैं कहता हूँ क्योंकि मैं सोचता हूँ |
और मेरे कहे हुए शब्द रहेंगे साथ तुम्हारे....
जब मेरी पलकें झपकने से इन्कार करें |

गम की स्याही

मुझे अपने सारे दुख दे दो |
जीवन की सारी व्यथाएं, पीडाएं, वेदनाएं दे दो मुझे |
मेरे कलम की स्याही सूख गयी है |

Sunday 11 September 2011

देखा है मैंने


देखा है मैंने
साथी बादलों से घिरे
चाँद को
चोरी से
मेरी तरफ देख
मुस्कुराते हुए !
हाँ; देखा है मैंने |


और ये जानने के बाद
की मैं भी देख रहा हूँ उसे
साथी बादलों की आड़ में
झट से छुप जाने वाले
चाँद को भी तो देखा है मैंने;
हाँ देखा है !

बस यूँही