शब्दोंसे परे भावोंसे भरे
Wednesday 14 September 2011
ईश्वर और सत्य
ईश्वर ही सत्य है मेरे लिए
सत्य को ईश्वर मानती है वो
वो सत्य है मेरा
मैं ईश्वर उसके लिए !
शब्द ही पहचान मेरी
मैं सोचता हूँ क्योंकि मै इन्सान हूँ |
मैं सोचता हूँ इसीलिए मैं हूँ |
मैं कहता हूँ क्योंकि मैं सोचता हूँ |
और मेरे कहे हुए शब्द रहेंगे साथ तुम्हारे....
जब मेरी पलकें झपकने से इन्कार करें |
गम की स्याही
मुझे अपने सारे दुख दे दो |
जीवन की सारी व्यथाएं, पीडाएं, वेदनाएं दे दो मुझे |
मेरे कलम की स्याही सूख गयी है |
Sunday 11 September 2011
देखा है मैंने
देखा है मैंने
साथी बादलों से घिरे
चाँद को
चोरी से
मेरी तरफ देख
मुस्कुराते हुए !
हाँ; देखा है मैंने |
और ये जानने के बाद
की मैं भी देख रहा हूँ उसे
साथी बादलों की आड़ में
झट से छुप जाने वाले
चाँद को भी तो देखा है मैंने;
हाँ देखा है !
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बस यूँही
जुदाई
आज जुदा हो रहे हैं... उस लम्बी जुदाई से पहले! कहते हैं: अपना एहसास दिलाती है मौत आने से पहले!
जीवन में तेरे मै आया हूँ
शब्दोंसे परे भावोंसे भरे कुछ ऐसे क्षण मैं लाया हूँ जीवन में तेरे मै आया हूँ तू मान इसे संजोग सही या ईश्वर का संकेत कोई तू पूर्ण कहाँ, मै...
मुमकिन नहीं
उसने कहा भूल जाओ भूल जाओ मुझे सदा के लिए मैंने कहा मुमकिन नहीं न तो मैं ख़ुद को भुला सकता हूँ न ही ख़ुदा को