अर्थ की तलाश में व्यर्थ ही |
व्यक्त होने की आस लिए
शब्दों की गूढ़ तलाश में
अस्वस्थ मन से भटक रहें अर्थ भी |
क्या करें?
क्या बोलें?
केवल भय है मौन का
क्या इसीलिए ये बोल हैं?
केवल न होने की कल्पना है भीषण
क्या इसीलिए है होने का प्रयोजन ?
कुछ भी ना करना यह भी तो होता है कुछ करना
सिर्फ होना; चलों इसी को कहते हैं जीना
हमारे तथाकथित 'करने' का उपहास
करता होगा ही 'वह' भी
पर सोचें भी तो क्यों?
आखिर 'वह' भी ऐसा क्या करता है
केवल 'होने' के अलावा ?
Nice One..:)
ReplyDeletehey yogesh.. i read it and loved it...
ReplyDeleteGood work dude...
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