शब्दोंसे परे भावोंसे भरे
Sunday 16 November 2014
नज़्म जूठी
मेरी नज़्म …
जो आई तुम्हारे लबों पे आज सुबह
सोचा चख लूँ ख़ुद
रात की फुरसत में...
कहते हैं …
जूठे से प्यार बढ़ता है !
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बस यूँही
जुदाई
आज जुदा हो रहे हैं... उस लम्बी जुदाई से पहले! कहते हैं: अपना एहसास दिलाती है मौत आने से पहले!
जीवन में तेरे मै आया हूँ
शब्दोंसे परे भावोंसे भरे कुछ ऐसे क्षण मैं लाया हूँ जीवन में तेरे मै आया हूँ तू मान इसे संजोग सही या ईश्वर का संकेत कोई तू पूर्ण कहाँ, मै...
मुमकिन नहीं
उसने कहा भूल जाओ भूल जाओ मुझे सदा के लिए मैंने कहा मुमकिन नहीं न तो मैं ख़ुद को भुला सकता हूँ न ही ख़ुदा को
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