Thursday 23 June 2011

चलो चलें इस कठिन सफ़र पे


चलो चलें इस कठिन सफ़र पे
तुम और मै हम दोनों केवल
और न कोई  आने पाए
सताने वाला
मिटाने वाला
मंजिल से भटकाने  वाला


चलो चलें उन शब्दों के अर्थों को ढूंढें
जिन से थक कर ऊब गयी तुम
इस सुन्दर पर कठिन सफ़र से
आहत गम  में डूब गयी तुम


चलो चलें उस पथ से जाएँ
जो न कभी तुमने अपनाया
मै आगे तुम पीछे चल दो
मैंने किसी को ना भटकाया


जो विपदाएं पथ में आएँ
मै सहता हूँ साथ रहो तुम
तुम पे कोई आंच ना आए
वादा है विश्वास करो तुम


है विश्वास मुझे स्वयं पे
उससे भी ज्यादा है तुम पे
मंजिल को पा लेंगे दोनों
अर्थों को समझेंगे दोनों


जब लौटें इस कठिन सफ़र से
थके नहीं खुश्मंद ही होंगे
शब्द ना होंगे गूढ़ कहीं भी
दुख नहीं; आनंद ही देंगे


आज खड़ा तेरे दर पे मै हूँ
द्वार तेरा ये बंद है कब से
अब तो मेरा साथ निभा दे
दूर चलो हम चल दें सब से

2 comments:

  1. कठिन तो है रास्ता मगर कदम से कदम मिलाएँगे हम,
    साथ हो जो तुम्हारा तो कठिनाइयाँ सहेंगे हम,
    मंज़िल का पता नही पर रास्ते ढूँड पाएँगे हम,
    घर नही तो क्या हुआ नील गगन को आशियाँ बनाएँगे हम,
    ग़म जो है तेरा उसे मिटाएँगे हम,
    तेरी मुस्कुराहट से इस जहाँ को रोशन बनाएँगे हम,
    तेरे कदमों मे खुशियाँ सजाएँगे हम,
    जो है नामुमकिन उसे मुमकिन बनाएँगे हम,

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  2. Very Nice.... :)
    liked it very much :)

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बस यूँही