Saturday 3 December 2011

मन से रहेंगे साथ सदा......

कभी तुम्हें आँखों  के बिलकुल सामने मैं पाता हूँ | 
और कभी मैं मीलों तुमसे दूर चला आता हूँ |
कभी लगे तू नदिया कोई और समंदर मैं हूँ | 
कभी लगे तू नभ मैं बादल, तुझ में समा जाता हूँ | 


कभी तुझे मैं बूझ न पाऊँ ऐसी तू है पहेली | 
और कभी प्रतिबिम्ब मेरा हो ऐसी तू है सहेली |
कितना भी तू रूठ ले मुझ से दूर नहीं जाना है | 
मन से रहेंगे साथ सदा; हाँ, मैंने क़सम है ले ली |

1 comment:

  1. Banhian hai.. Ur thoughts are owesome sapre sahab.. Aur bataein ka haal? Kaisan chal rahal baa kaam?

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बस यूँही