शब्दोंसे परे भावोंसे भरे
Saturday 19 November 2016
फ़ासले
आजकल कुछ लिख नहीं पा रहा हूँ...
तुझसे फ़ासले बढ़ रहे हैं शायद...
"ऐ ज़िन्दगी, गले लगा ले!"
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बस यूँही
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