शब्दोंसे परे भावोंसे भरे
Thursday 3 August 2017
बस यूँही
No comments:
Post a Comment
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
बस यूँही
पलकों के तले
ख़्वाबों को हक़ीक़त का जामा हर बार नहीं पहनाया जाता कुछ ख़्वाब सिर्फ पलकों के तले महफूज़ रहते हैं पलकें खुली नहीं की पिघल गए हमेशा के लि...
जुदाई
आज जुदा हो रहे हैं... उस लम्बी जुदाई से पहले! कहते हैं: अपना एहसास दिलाती है मौत आने से पहले!
कोई अर्थ है अस्तित्व का?
शब्द चारों ओर मंडरा रहें अर्थ की तलाश में व्यर्थ ही | व्यक्त होने की आस लिए शब्दों की गूढ़ तलाश में अस्वस्थ मन से भटक रहें अर्थ भी | क्य...
No comments:
Post a Comment